उतनी देर तो ठहरेगी ही न
तुम्हारी याद
जितनी देर ठहरती है
गुलमोहर के दरख़्त पर आग
आँख की झील में
जैसे नीला आकाश
कहाँ मिटता है
पलक मुँद जाने पर भी
याकि झर पड़ेगी
जैसे कि हरसिंगार
ओह! कैसा निमिष भर संसार
✍🏻 श्रुति गौतम
हिंदी कविता - संसार - श्रुति गौतम। याद पर कविता
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Wednesday, December 29, 2021
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